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दुकाल

दूहा
मेह बिना भारत मही, पूरा जण दुख पाय।
काल दुकालां मांनखो, मौत बिना मर जाय।।1।।
थिरु काल पड़ थलवटां, जाजम दई जमाय।
मारै रिबा'र मांनखौ, इणनै दया न आय।।2।।
ठाय दुकालां ठावका, गाया जुग जुग गीत।
पड़बा मरुधर मा पड़ी, रे कालां री रीत।।3।।
काल वलाकौ काढ़लै, जद कद ही जोधांण।
बाड़मेर बीकांण बड़, जोवौ थिर जैसांण।।4।।
करता आया आजलग, कविजण चरचा काल।
मतनिजसारू म्हैं मुणूं, दरद हवाल दुकाल।।5।।
नर हालत नीचांत मा, ऊभौ काल ऊंचांत।
घातां मिनखां घालवै, नंहचै अवर निरांत।।6।।
ऊभघड़ी मिनखां अड़ी, जड़ी काल जंजीर।
कड़ी जरु इसड़ी करी, सिसक्यां भरै सरीर।।7।।
चुल उरबांणौ चोर ज्यूं, चिपै आय चुपचाप।
बलै ठरै नीं बोदलौ, धरा काल ना धाप।।8।।
नकटौ दुरभख निसरड़ौ, खलकै गाल्यां खाय।
कुण नूंतै छै कालनै, औ अणनूंत्यौ आय।।9।।
पिरथी घण लाम्बी पड़ी, जित चावै उत खेल।
कविजण पूछै कालनै, पड़ियो क्यूं थल गैल।।10।।
नंदी घाट पठार नग, सोरी काल न सैल।
मुलमुल थलवट मांयनै, पड़ियां आय न ऐल।।11।।
हाड जोजरा होयगा, अंग रह्यौ आंबीज।
कुलै डील घण कालरौ, (तोई) पड़ पड़ न धीज।।12।।

काल रौ इतियास
लागू सदियां लारली, काल मरुधरा लार।
मोत्यां मूंघौ मांनखौ, अजमावै अणपार।।13।।
ऐ इतियासां आंकड़ा, जोयां मनां उदास।
मांडी रामत मोकली, काल मरुधरा खास।।14।।
बारै बरस फंफेड़िया, डोल काल डकरेल।
बावड़ सदी इग्यारमीं, टॉड़ जोविया पैल।।15।।
सत तेरह अठचालवै, झिलयो काल झपेट।
मर मर भूखौै मांनखौ, पूगौ जमना पेट।।16।।
मडां मडां रै मेलरौ, जोयौ इसौ जमाव।
जमना धापी जावती, थमियौ नदी बहाव।।17।।
छासट तेरह सौ समत्, दुरभख रौ दरसाव।
मारवाड़ रै मांयनै, देख्या दुख रा दाव।।18।।
रायपाल सद बांणियौ, खोल्या अन कोठार।
महिरेलण पद पावियौ, मारवाड़ मझधार।।19।।
तेरह सौ बारांणवै, काल कियौ घण कोप।
मिनख द्राव खाया मुवा, पाई दैतां ओप।।20।।
हाण गिड़ां फसलां हुई, मरिया पसु अलेख।
पनरै सौ ब्यांलीस मा, दुरभख लीला देख।।21।।
सन पनरै सौ साठ मा, मोलौ घण मेवाड़।
नद नालां झीलां नहर, सूख हुई सून्याड़।।22।।
सन परै सौ सित्तरै, दुख दुरभख घण देय।
अकबर राहत काजरा, नागाणै जस लेय।।23।।
सतरै सौ इक्यावनै, बावन त्रेपन तायं।
मोटा कालां मांनखौ, हारी हीमत नांय।।24।।
समत अठारै दोय दस, पड़ियौ बांडो काल।
जोधांणै बीकांण लग, कूदै नौ नौ ताल।।25।।
काल अठारै सौ समत्, तेपन अड़सट त्यार।
मर मर नर दिन काढ़िया, धीरज हीमत धार।।26।।
सरू समत् उगणीससौ, खसै अघोरी काल।
एकै बीयै मरुधरा, घाती गूंथै जाल।।27।।
बरस घणा उगणीससौ, खातौ काल खताय।
पांचौ आठौ सतरमौ, पच्चीसौ बिलखाय।।28।।
गना ध्यान सै पांतरै, तनाजांन नर तंत।
अन ही इज्जत आबरू, मिनखां भूख मरंत।।29।।
चौतीसौ उगणीससै, दोड़ै मुलक दुकाल।
अड़ातालीसै बावनै, काल करी न टाल।।30।।
समत छपन उगणीस सौ, मुलकां काल मसूर।
घूमर मरुधर मा घली, चिंतव चकनाचूर।।31।।
छपनै मरुधर छायगी, कालतणी करतूत।
अन खातर केई अठै, बेच्या मावड़ पूत।।32।।
हाड़़ोती ढूढाड़ हद, मेवाती मेवाड़।
छपनौ किणनै, छोडिया, नक्की तौड़ी नाड़।।33।।
काल झलिया केसड़ा, बरस चौहत्तर बीच।
रोग प्लेग लागौ रयत, मारै आंख्यां मींच।।34।।
कैयां उठ्यौ नांवगौ, रियौ न रोवण लार।
मुड़दां हित मिलाय नहीं, कांधौ देवणहार।।35।।
थरकीज्यौ मरुध थलां, छिनवौ मार छलांग।
मिनख होस हीण हुवा, ढोली पड़गी लांग।।36।।
दुय हजार समत दीया, भूंडा काल भचीड।
पांचै आठै फेर पड़, लैर बढ़ाई पीड़।।37।।
तुमत काल सतरै तणी, पाटक मानूं पूछ।
पढ़बौ छोड पढ़ेसरी, करै मालवै कूच।।38।।
बरस पच्चीसै काल पड़, नर पसु ताय नाढ़।
राहत काज अकाल सूं, रया रही दिन काढ़।।39।।
चम्मालीसौ चोगना, करिया मिनखां कान।
माड़ी हालत मरुधरा, दुमनौ राजसथान।।40।।
केई काचा करवरा, कई दुकालांधीस।
सोलै आना ही समा, सदी मांय दस बीस।।41।।
आवै कदै इकांतरै, कदै पांतरौ पाय।
तीजै चोथै चूकियां, काल म्रजादा जाय।।42।।
बिण विग्यान विस्तार रै, हा नर साधनहीण।
अनरी कमिया ना अबै, पूरौ छै जलपीण।।43।।

कालजयी मांनखौ

वाधापौ विग्यान रौ, मांड्या पग ससि मांय।
पिड़ न छूट्यौ काल पण, इरौ ओलबौ आय।।44।।
तपती रिंदरोही धरा, बाजै लू बिकराल।
नमीं कमीं सूं जोय नभ, कुदै नाचै काल।।45।।
आवै काली आंधिायं, भूरै पीलै भेल।
रपट उपाड़ै रूंखड़ा, करै बिणासी केल।।46।।
कमी रूंखड़ां कारणै, करै न रोही कार।
रेत उटावै आंधियां, वणै थली विसतार।।47।।
जखड़ उडावै झूंपड़ा, पकड़लेय जिण पाथ।
चीज टोल सागै चलण, आंधी रौ उतपात।।48।।
धोरा आथूंणी धरा, ऊंडा बेरा और।
जल खारौ ऊसर जमीं, जिण पर चैल न जौर।।49।।
कोसां लगपांणी कठै, लोग पखालां लाय।
बरसलौ कम बरसनै, ततबहीण तरसाय।।50।।
नावण धोव नीर कित, जांदा पीवण जोय।
धिन धिन मरुधर मांनखौ, मांनी हार न कोय।।51।।
चीडौ चिंतव मरुधरा, हिलै न कालां होप।
करण सामनौ काल सूं, रै ऊभौ पग रोप।।52।।
एस परार'र तेंपरार, पड़ता कालां पेख।
कालजयी थल मांनखौ, इण मा मीन न मेख।।53।।
बिना धान खाया भुरट, पायादुख भरपूर।
समठपणा मा मांनखौ, मरुधर तणौ मसूर।।54।।
पीवण पांणी पालरौ, मूंधौ चारौ मोल।
पालै द्वारां प्रेम सूं, दर दर कालां डोल।।55।।
द्राव-वेत रै धापियां, धमी खावसी धाप।
न्हांख पैलपसु नीरणो, अन मुख पाछै आप।।56।।
एवड़ छांग चरांण नै, जावै अलगा टोल।
अड़ी विड़ी मा एमविध, गुजर करै जा गोल।।57।।
थलवट वालू रेतड़ी, ठरै बरफ उनमांन।
बेवां फाटै बेवतां, तकड़ी सरदी तांन।।58।।
तावड़ मा झटपट तपै, सरद ठंड जव सीर।
मुलमुल रेती मरुधरा, व्हाली लागै बीर।।59।।
चौमासौ
सुगनां ऊपर घणकरा, रे विसवास रखाय।
काल ेकलौ कुजरबौ, सौ सुगनी नै खाय।।60।।
मानै घणकर मानखो, सुगन सरोदा सांच।
ततब कराणै बूढ़िया, बैठा रवै बांच।।61।।
रोहणी तावड़ न तपै, वाजै मिरग न वाय।
ऊमसहीण आसाढञ व्है, सबनै काल सताय।।62।।
सूतौ ऊगै चंद्रमा, बीज धवल आसाढ़।
हिवड़ै व्यापी काल री, चिता सकै न काढ।।63।।
सरां न बोलै डेडरा, खालड़ ना संदवाय।
वाज्यां सीलौ वायरौ, रूपक काल दिखाय।।64।।
ऊपर फाड़ै आंखियां, आसमान आसाढ़।
चपला चमक न घन गरज, गालै मिनखां गाढ़।।65।।
वेला बावण बाजरी, जाय असाढ़ां गैल।
सरकै दिन ज्यूं ज्यूं पड़ै, मिनखां हिवड़ै धैल।।66।।
बीज घवल बीसारदी, तीज चौथ ना तंत।
पांचम छट परवारगी, सातम नांय सुणंत।।67।।
आठम नम नै ओलबौ, दसमी पड़ी न छांट।
ग्यारस तिरसी गोल व्ही, बारस भी बरणाट।।68।।
तेरस चवदस तायगी, पूनम खोली पोल।
मास साढ किरसांण री, छाती रहियो छोल।।69।।
लुक लुक सावण लागतै, आभै चमकै बीज।
मोली बादल गरजणा, बढै करसणी छीज।।70।।
पनरै आंगल पूगियौ, तेह जमीं रे तांय।
धती किम दिन धापसी, तिरसी सावण मांय।।71।।
बीज बिजारौ बावियौ, बाजर कमी बिसेस।
नाणौ देवण कोरडू, पड़ियां आछी पेस।।72।।
वेलां मोती नीपजै, वेला मती चुकाय।
बावण तड़कै ही बगै, गुदलक तांय घुराय।।73।।
रंजत काम न रात दिन, भूख तिरस जा भूल।
सरतन हदै सोरकै, झूलै अध्धर झूल।।74।।
तातौ पांणी भड़ तपै, हुयगौ रूंखां हेट।
रुखी निरधन करसणी, रालै रोटी पेट।।75।।
मरुधर हंदै मांनखै, दुरलभ खेती खेल।
सुध बुध झूलै सागड़ी, बह बह थाकै बैल।।76।।
पलक बूंद परसेवरी, करतां करसण काय।
जांणक चमकै ओसजल, रिव ऊगत वणराय।।77।।
बसुधा तणौ बिछावणौ, आभौ ओढ़ण और।
राम भरोसे करसणी, चौमासै अठपौर।।78।।
कम बिरखा रै कारणै, मोलौ अन ऊगंत।
निसकारा न्हांखै निरख, करमां नै कोसंत।।79।।
रुपक देख्यां पान रा, घान भविंस व्है ध्यान।
जद कद फोड़ा घालसी, माड़ी नींव मकान।।80।।
घान परालू कम धरा, झिरमिर बरसै झट्ट।
साखां छोटी सावणूं, मानसून कलपाय।।82।।
दिसटी कूर दुकाल सूं, खेती आभा खोय।
मानवस हरियाली मझां, लीलापणौ न कोय।83।।
बैठा निकमा बाजरी, नहचै करै निनांण।
सावण उतरण लागियौ, पूरी तांण न पांण।।84।।
कूड़ न सघन कलायणां, व्योम न चमकै बीज।
सजनी रै साजन थकां, सूखी सावण तीज।।85।।
राखी मोली रैयगी, भोला बेनड़ बीर।
कुसमौ सागण आसरै, पड़ै सासरै पीर।।86।।
सूखी पाग पधारिया, सावण मेह न संग।
भादूडै रीतीज नै, माड़ा मिलसी अंग।।87।।
वलै न बिरखा बावड़ी, जलम अस्टमी जोय।
टुर टुर जावै टांकणा, हांणी खेतां होय।।88।।
मोला लागै मेह बिन, सेवां खीर सवाद।
गोगो मेह न घेरियौ, रे रे आवै याद।।89।।
छांटा छिड़कौ व्है छिता, सुसकै साखां सेंग।
अकाल राहत मेह बिन, घुसणौ पड़सी गेंग।।90।।
पितर अमावस पूगियां, मेहां पूरी मोल।
बढ़ीस गोडां बाजरी, पीड़ तिरस पंपोल।।91।।
मोठ गंवार जंवार तिल, मूंग ऊमरा माल।
मेह बिना इण धान री, चुसकै कोंकर चाल।।92।।
माड़ी हालत मेह री, आवण लागा लूर।
पालौ कितोक चालसी, पथिक थाकियौ पूर।।93।।
स्याम कलायण गीकठै, पुरवाई किण पंत।
घुरै न कोई गाजवै, दामण ना दमकंत।।94।।
भूखी भैंस्यां आवती, आंथण रा अरड़ाय।
डाकी आवण काल'डर, केकी मिल कुरलाय।।95।।
भूखी तिरसी भादवै, आसी कदै उछाल।
गायां देवै ओलबा, गयौ कठै गोपाल।।96।।
थोड़ौ थोड़ौ बरस थल, और बढ़ाई आस।
नागपंचमी नीसरी, मगसौ भादव मास।।97।।
बीज पलक गरजण घटा, मचतौ भादव मास।
मन री मन मा रैयगी, मिनख जिनावर आस।।98।।
चांबी ढकी न चौकड़ी, पांणी नाडी पूग।
आडां खाडां मा अडी, सागै कादै सूग।।99।।
देती आई दिवस रै, देवझूलणी दोट।
बिरखा फेर न बावड़ी, गई खाय जिस सोट।।100।।
कुण देख्या किणनै मिलै, घाली फाडी आद।
जूना आखर पिंडतां, खावण माल सराद।।101।।
पांणी पच दीधौ नहीं, अद ना राखी और।
मरियां लारै मायतां, जीमावै नर जौर।।102।।
पुन खातर निवतै परा, खावण दुज घी खीर।
पंडित बुद्धि पालियौ, सबमा ऊंडौ सीर।।103।।
रही सही सूखाय दी, फसलां झोलौ बाज।
रोगी जांणक रामजी, करी कोढ़ माखाज।।104।।
आवै निजर न टींडसी, काचर तणैं न सीर।
कठै न आली काकड़ी, मिलै न एक मतीर।।105।।
हाथ हेक बढ़ काल बिन, गारत हुवै गंवार।
फुलवासी रा आवसी, भटका बारम बार।।106।।
भूल लागियां ही बिना, तिलां टूटगी नाड़।
मोठ ऊमरां मांयनै, दीना मूंडा फाड़।।107।।
कड़ियां बढ़णी बाजरी, अतरी और जंवार।
सिट्यां बिन बलगी सफा, करसौ पाड़ण त्यार।।108।।
किरसाणां कातीसरै, बिगड़ै सारौ डोल।
मरुधर मा विग्यान जुग, मेह बिना सै मोल।।109।।
जोड़ायत दुख री झपट, खसै विपत खामंद।
कुचर पुचर कातीसरौ, बांध्यौ बाड़ै बंद।।110।।
दोरा नकिलै नोरता, खरा काल रै खेल।
दोवाली रा दीवलां, मिले धिरत ना तेल।।111।।
करी दिनगै ऊठतां, रामा सामा राय।
मौरत जावण मालवै, जोसी सूं कढ़वाय।।112।।
रिच्छा पसुवां री रखण, पूज गोरधन पैल।
मऊ चालसी मालवै, रामभरोसे खेल।।113।।
तन री रखण निरोगता, ईसर आस अटूट।
रामफली फल गोडिया, कर लेवौ अनकूट।।114।।
मारगू जीवण
सुमर विनायक नांव नै, करै कूच आदेस।
कुसल राखियां आवसां, वेगा मरुधर देस।।115।।
बिरछ, विहंग सर धाम धर, निंवतौ करसै सीस।
रिच्छा सब री राखजै, इच्छा पूरण ईस।।116।।
टोल्या पाडी टोगडां, गाय भैंस रै गैल।
लारै कामण बीच मां, झालां जुतिया बैल।।117।।
नीरण द्रावां नीरणी, झाल भरी छै जौर।
मारग रोटपकांण नै, ईनण छाणा और।।118।।
जातू खुल्या झालिया, बांध्या पट्यां पांण।
बहतौ हांकै बैलिया, पालौ ही किरसांण।।119।।
नैनकिया छै नासमझ, मुलकै झालां मांय।
मोला बापू मावडी, दुखी जिम्मौ दरसाय।।120।।
अस बैल्या रथ गाड़ियां, सूरवीर किरसांण।
जीतम दुसमी काल जुध, जावै औ दल जांण।।121।।
करबा बेपारौ करै, बेपारां बिसराम।
आडटेड कर टुलकिया, सांझ आगलै गाम।।122।।
दस कोसां रै आंतरै, पैलौ कियौ पड़ाव।
बालम बालक बैलियां, घण पंपोलै द्राव।।123।।
न्हांखै द्वावां नीरणी, बैल्यां पालौ राल।
चलतौ चूलौ चेतियौ, छमकै झिझकै बाल।।124।।
पैलां साग पकावियौ, पाछै रोट बणाय।
टाबर खांण उंतावला, मोली मन मा माय।।125।।
लूखा रोटा साग सूं, दोरा गलै दबाय।
पाली बेय विसूखगी, देखौ भैंस्यां गाय।।126।।
गेलै पासै गुड़ गया, फाट्या गूदड़ ओढ़।
मरुधर लाखीणा मिलख, फिरै मुलक घर छोड।।127।।
सपना जोवण सांतरा, टाबर नींद घुराय।
चिंता कंतै कामणी, आंनै नींद न आय।।128।।
ओखघीस ही आंथियौ, तारां छाई रात।
सूता कामण कंतड़ौ, करै विखै री बात।।129।।
रथ ज्यूं ऊभी गाडियां, बेल जियां अस दाव।
जांणक कांकड़ मा हुवौ, भूपत तणौ पड़ाव।।130।।
परधै अन सूं पालणौ, करसौ बडं भोपाल।
आज तिकौ परघर फिरै, खांण कमावण काल।।131।।
तड़कै सरदी तेवड़ी, आवण मरुधर देस।
छट्ट उतरती कारतिक, पड़ी मारगां पेस।।132।।
पीलै बादल पदमणी, ऊठी अंग मरोड़।
ऐक रात बरसां जिती, आवण लागौ ओड़।।133।।
पांच बार गी पीर मा, सासरियै चव बार।
ऊमर बरसां बीस अठ, गई मालवै नार।।134।।
बालम जोय भखावटै, गाडी हंदौ गेह।
धार करियां सेज घर, दूखण लागी देह।।135।।
पिव जोवै दिस पदमणी, पदमण जोवै पीव।
आडी जांणक ऊभगी, सौ कोसां री सींव।।136।।
पौ फाटी पंखेरूवां, करबा लगा किलोल।
सून मिटी काकंड़ सकल, पूरब दिस रिव चोल।।137।।
उधमा करण उतावली, टाबरियां री टोल।
धुड्‌ड कलेवै धापियां, चोरु चढ़िया छोल।।138।।
काची पाकी रोटियां, खातावल घण खाय।
नीरण सरमोकण पछै, पांणी द्रावां पाय।।139।।
आधी भूखी ऊठगी, बिना लगावण साव।
जुतगी पाड्यां जांण नै, तजियौ पैल पड़ाव।।140।।
खड़खच खड़खच गाडली, ढीलौ पूट्यां डोल।
बहता थाका बैलिया, मऊ चालबौ मोल।।141।।
सौ कोसां कोटो सही, आगै जांणौ और।
भायां णि विध बेवतां, आसी पूरौ जौर।।142।।
पुसकर तीरथ पागती, चोथौ करै पड़ाव।
घण कहै पंचतीरत्यां, सांपड़ लेवौ साव।।143।।
पीरूं ग्यारस पुन्न री, सांपड़ लेवौ लाभ।
पुसकर तीरथ रौ गुरु, इणरी लूंठी आभ।।144।।
न्हायां सूं मुगती नहीं, ऐ झूठा पंपाल।
न्हावै नित ही मछलियां, झिलै मछेरां जाल।।145।।
पुन तीरथ उपवास पथ, पिडत रा पड़पंच।
न्हांण भूखां मरण सूं, मिलै न मुगती मंच।।146।।
धायां री धंधौ धरम, करम पुन्य धनवान।
गिणती कठै गरीब री, कामण बातां मान।।147।।
झूकतै चेलै बैठणौ, सारौ ही संसार।
धन बढाण धनवान रै, रहै विलू किरतार।।148।।
सुदविरती पुरसारथी, परउपकारी पाथ।
जीवण सुधरै आगलौ, मौजूदा सुख साथ।।149।।
कुसमा काचा करवरा, पूरा देवै पींच।
किरतारौ किरसांण हित, बैठ्यौ आंख्यां मींच।।150।।
लारै 'पुसकर' रैयगौ, आय रह्यौ 'अजमेर'।
गेलै बहतौ गाडियां, चावै मरुधर खेर।।151।।
कोस पचासां केकड़ी बारह धकै बनास।
गुड़ता गाडा पूगगा, काठेड़़ी तज खास।।152।।
देख्यौ फांटौ देवली, तज बूंदी री आस।
लीधौ कोटो लार रख, सीतांवाडी सास।।153।।
मालवौ
'बारां' मा कीं बैठगा, आगै पाछै और।
कण कण रा करिया कितां, दुरभख विपदा दौर।।154।।
न्यारा न्यारा न्हालिया, थमबा करसा थोक।
वसै सदाफल वाटकै, घरड़ै घोड़ाचौक।।155।।
उपजाऊ माटी अधिक, सींचण नहरां साख।
फसल धान घर आमफल, घर हाड़ौती धाक।।156।।
चावी पैदा चावलां, ओरूं नको उजाड़।
गंऊं चिणा सरसूं अवर, घणी ुपज गुड़बाड़।।157।।
सौ सौ गायां साथमा, भेस्यां सौ सौ भाल।
मावै द्राव न मालवै, धीणा रा धैछाल।।158।।
साड़ी नीचै सांतरौ, पेरण पेटीकोट।
पसवाड़ा पलकावती, ढकै न कबजै ओट।।159।।
बणी ठणी रह हर बगत, नवल पटेलां नार।
नोकर चाकर करण नै, सेवा अर सतकार।।160।।
पाजामौ चोलौ पहर, खेत पटेल निहार।
कांधै घर बंदूकड़ी, रांचै लार सिकार।।161।।
मोला घणा मजूरिया, टोला टींगर लार।
दाणा खातर देनगी, गया जमारौ हार।।162।।
धोती गोडा धारणी, लूगड़ ओछी और।
कबजौ ससती छींट रौ, पेरवास वप गौर।।164।।
केलूड़ा रा टापरा, से रुत मा संताप।
फाट्या गाभा गूदड़ा, छिता मजूरां छाप।।165।।
आंणै टांणै ऊपरां, लाचारी मुख लाय।
मालक दै हैसत मुजब, आंनै करजौ आय।।166।।
मालक घ सूं छाछरू, बचिया रोटी साग।
राजी राजी लैयनै, समझै मोटा भाग।।167।।
पूसवायदौ काढ़ती, करती पोटा गार।
मोसा सुणबा मालकण, नेस गरीबां नार।।168।।
मूंडा सामी मालकण, भालै बार तिंवार।
मीठौ चूंटौ मांगबा, जाय मजूरां नार।।169।।
बारह जौड़ी बैलिया, धाक पटेलां धाम।
बीसूं हाली पालती, करबा खेतां काम।।170।।
ऊभी खेतां अड़ोथड़, तालां छेक जंवार।
गोडां बधिया चावलां, पैदा व्है अणपार।।171।।
पूरी बीधा पांचसौ, जोरां नखै जमीन।
धाकड़ लाटा धान रा, पटेल कबजै कीन।।172।।
जमीहीण घणकर रया, नखै गीरबी नूर।
करबा खेती काम नै, ससता मिलै मजूर।।173।।
जमीदार पड़िया अठै, घमा गरीबां गैल।
दिखा आंख आंरौ अठै, सोसणकरै पटेल।।174।।
दारू मा दपटीजिया, पीवणियां अठपौर।
पतो न ऊगै आंथियै, अमल अरोगै और।।175।।
पूरी एब पटेलिया, ओरूं भखै अलीण।
कदरकरै ना कामणी, कामू संयमहीण।।176।।
गुणग्राही ना नौरियां, रीझै देख'र रूप।
मितभ्रस्ट मद मांस सू, थई पटेलां भूप।।177।।
कारज मनचायाकरै,दिपै पटेलां दौर।
राखै मुट्ठी मांयनै, अफसर रिसवतखोर।।178।।
पड़ी दुकाल परम्परा, जूनी पेठ जमाय।
करण मजूरी मालवै, मरुधरवासी जाय।।179।।
मारवाड़ री मांनखी, जदै मालवै जोयच।
हाकौ माचै हाट मा, हरख घमा नै होय।।180।।
मीठी बोली सुध मनां, पुरसारथ बडपांण।
जरणां जीवण सादगी, मरुधर नरां बखांण।।181।।
चौड़ी छाती बजरसी, गांठां बूकड़ गोल।
पीठ कमर मजबूत पग, डील इसौ नर डोल।।182।।
ऊंची धोती अंगरखी, धवल पेच धारीह।
लूंग मुरकियां पैरबा, पगरखियां प्यारीह।।183।।
आभ पयोधर उरड़ियां, घुटमी भा चख गोल।
मुलक गौरियां तेजमुख, हीमत जियां हरोल।।184।।
कीधी कुड़ती कांचली, कोरां गोटा किनार।
घूमर चालत घाघरै, असकीली असवार।।185।।
लाडू चमकै लूगड़ी, नामी सौरम नार।
जबर कसीदी जूतियां, ओप रही इकसार।।186।।
विगत काल बोलसावियौ, गहणौ सेठ घरांह।
बचिया टोटी बोरलौ, कांीजोर करांह।।187।।
वेग सिजीया बाकला, खुस टाबरिया खार।
दिन उगाली देनगी, तिय करबा नै त्यार।।188।।
डोका जबर जंवार रा, हाम दांतलौ हाथ।
ढूकौ बाढ़ण कंतड़ौ, निभै न कोई साथ।।189।।
पन्नौ चोड़ौ हाथ रौ, कड़बी ढिगल करंत।
बंधारी लारै वहै, तकै मालवी तंत।।190।।
कूतर कड़वी बैलियां, रालण पालौ और।
मिलिया दुकाल मालवौ, न्याल नसल नागौर।।191।।
मचगी गायां भैसियां, खूब पूनरौ खाय।
थायौ दूध बिसूक थण, दारा दूहण दाय।।192।।
झुंड अड़ोथड़ झड़का, मचिया पानां पांण।
बाढ़ण सारू वींटका, कोड़ करै किरसांण।।193।।
जुगत हाथ हिक झाड़बड़, जैी दूजै जांण।
सुणै हबीड़ौ मालवी, मुरधरियां किरसांण।।194।।
बाढ़ै सौ सौ वींटका, मारवाड़ किरसांण।
मन मा इचरज मालवी, मरुधर नर आपांण।।195।।
पालौ काटण हित मची, हाची होडाहोड।
बेसक पालौ बैलिया, नीरै कर कर कोड।।196।।
मारवाड़ रा मैंणती, करसां बखमा काम।
मास पौस रै मांयनै, चवै पीसनौ चाम।।197।।
दिन छोटा पौ मास रा, बीतै करतां बात।
थमै रवी रै आथम्यां, हां किरसांणां हात।।198।।
दपटाऊ घी दूध मा, चूरै रोट्यां च्यार।
उतरै थाकेलौ अवस, करै डला गुलकार।।199।।
बे झूंपड़ बे रुंखड़ा, मारवाड़ रौ वास।
कंत कामणी याद कर, न्हांखै मनां निसास।।200।।
रहबा सरदी रात मा, लक्कड़ तपबा लाय।
आधी तपतां ऊतरै, आधी गूदड़ मांय।।201।।
सूखी लकड़ी सासती, राखै ढिगलौ ठेैर।
लावै बालण लोगड़ा, खितरू बंजड़ खैर।।202।।
थापण बगत न थेपड़ी, ओटण छांण आग।
मरुधरिया किण वासतै, राखै पोठां लाग।।203।।
काम करावण बगतसर, पूर मालवी पीक।
बणी गवाड़ी गाडियां, मरुधरियां, दाढ़ीक।।204।।
कोरी नांहीं कलपना, खोसूं तथ्यां खाल।
सुणिया जिसड़ा मालवी, हूं लिख दिया हवाल।।205।।
मरुधरा
वेला सरदी वापरी, काल किया कुरियंद।
के कामल के केसलै, हुयगी काया बंद।।206।।
रया भरोसे राज रै, करै न दूजौ काज।
फेमिन रै खुलिया बिना, असकी लागै आज।।207।।
काल कमावण मांनखौ, जावै कठै कठैह।
बारह आना बारणै, आना च्यार अठैह।।208।।
गांवां सून गवाड़ियां, टाबर न टोलीह।
बाड़ां सूना द्राव बिन, परधै व्ही पोलीह।।209।।
चढ़ियौ फिरवै गांव चख, बायरियौ बरणाट।
मुसकल लगणी मांनखै, काल दुकालां दाट।।210।।
डाडै ढाणी डोकरौ, सुणै न कोई सैंण।
विथा भूख तिस रोग री, न्हांखै आंसूं नैंण।।211।।
बारै बेटौ बीनणी, तगड्‌या खांण कमांण।
बाबै लागी व्याधियां, तरसै हीड़ां तांण।।212।।
सुतन कमांण सिधावतां, बाबौ ठोरम ठौर।
सोच काल रौ रात दिन, कर दीनौ कमजोर।।213।।
करसी पच पांणी कवण, पाला कवण ढुलाय।
खाली मूंणां दूधडिया, काल लगाई लाय।।214।।
माजी वादी कारणै, सड़पां चलै सरीर।
हीड़ा खुद खुद रा करै, गाभा झीरा झोर।।215।।
डीलां धूजै डोकरी, चढ़ियां सीयौ ताव।
गैरण वालौ गूदड़ा, गयौ मालवै गांव।।216।।
रुलौ चालै रात दिन, सरणां माऊ सेय।
कड़ियां वादी कारणै, दरद न चालण देय।।217।।
आंख्यां आंसूं खूटिया, नाड्‌यां खूट्यौ नीर।
गिण गिण नै दिन काढ़तां, सूख्यौ सकल सरीर।।218।।
दरवाजै ताला दिया, गिया कमावण खांण।
सैनांणी आकाल री, किया जरू किरसांण।।219।।
छीजै सूनी छानड़ी, बाडां, सून विसेस।
सूनां मेड़ी मालिया, देखौ मरुधर देस।।220।।
सूनी डोढी डोलियां, सूनौ गांव गवाड़।
गलियारां सूनी गली, सूना रोही झाड़।।221।।
सेवा कर कर थाकिया, करी न ईसर कार।
मिंदर छोड्यौ भूख मर, पूजारी परिवार।।222।।
आटौ कुण घालै अबै, भूखा सेवग साद।
कैवत मरातं आपरै, आवै बाप न याद।।223।।
हाथ हिलाता टोकरौ, झालर रौ झरणाट।
नाद नगारां गूंझतौ, जडिया सून कपाट।।224।।
बिना धान री बापरत, धुरै काल गरकाब।
आडैकट ऐकासण, होवै बिना हिसाब।।225।।
चुली न दुकनी-चौकनी, धिकधिक दुरभख धाक।
छकनी छीजै छानड़ी, आठ कनी असलाक।।226।।
साधन वाला सांतरा, दस मांही एकाद।
च्यार चलाऊ काम नै, बात न बेबुनियाद।।227।।
बैकारी पैलां घणी, लागौ दुरभख लार।
मरुधर रा मोट्यारड़ा, रांचै बेरुजगार।।228।।
कम पांणी पैद कठै, गत रुजगार उदास।
चेताई सूं चालणौ, मारवाड़ रै वास।।229।।
सरदी
बेठा माथै बेवणी, चूला नखै चलाय।
तप टाबरिया तापवै, सीयालै रै मांय।।230।।
ना साला ना सांगणी, ना बोझी ना बांठ।
हगड़ बोझ कीकर हुवै, घुलियां दुरभख गांठ।।231।।
कऊं तपता चांतरै, जुड़त हथाई जौर।
काल आयनै कोजियौ, करदी खाली कौर।।232।।
लगै टगै सै लेयगा, द्राव मालवै टोल।
लखियां बाड़ै लागणी, ओला बिना अडोल।।233।।
तप मींगणिया तापता, सरदी जे सेंतोल।
एवाड़ा सूना थया, बिन लरड़ी बिन लोल।।234।।
बाजै ठंडौ बायरौ, ठरी ठंड सूं ठंड।
पड़गा सूना हाथ पग, डीलां सरदी डंड।।235।।
गांव घडां जल मटकियां, जमियौ पालौ छान।
जमियौ नाडी जल जबर, आरसियां उनमान।।236।।
पैल झपेटै ठंड सूं, ठरगी बालू रेत।
उरबांणौ बहता अठै, अंगां पणौ अचेत।।237।।
बेहद फटी हथेलियां, फाटै होट फटाक।
सरदी झीणी बायरी, एड्यां फाटै बाक।।238।।
झिलगा जै चौगान में, रसतै पौ री रात।
दूजा ई नर देखसी, ऊगंतौ परभात।।239।।
कांकड़ मांही कैरटां, करै ठंड मा कार।
सरदी सूं डर द्राव नर, ओट2ौ लेवै लार।।240।।
सुनी गायां थाकगी, दिन रा कांकड़ देख।
चिपगी भींता बाड़ रै, पूरण सरदी पेख।।241।।
चिपगा भूखा हाडका, सरदी चाम सताय।
सांस बटाऊ पामणौ, गयौ फेर ना आय।।242।।
सीयालौ, साधन थकां, लागै आछौ लोक।
गत खोटीज गरीब री, तिणसूं उठै न तीख।।243।।
ग्रीखम
उन्हालै दुरभख उजर, जरु जलेब जताय।
घोदण लागौ गांव घर, तावड़ बावड़ ताय।।244।।
फागण बीत फितूरियौ, चैत बिगाड़ी चाल।
बिलखाया बैसाख बख, कैयां पड़ी कुथाल।।245।।
नाडी रीती आभना, आखै गांव अडोल।
बागा बाडां, बोलियां, पोमीजै कद पोल।।246।।
आंकौ जोवण आयगौ, जेठ काल जबरेल।
मोखातर रौ मारगू, घमी हुयगौ धैल।।247।।
दिन मोटा कीकर कटै, जल खुणच्यां सूं झेल।
बारी कद आसी बलै, गिनरत गांव न गैल।।248।।
गांवेड़ री गांगरत, अन री करै उडीक।
अटकी पानां आयनै, प्रेमी थारी पीक।।249।।
आवै घमी उबासियां, ऐदीड़ौ असलाक।
डाकण लूवां डकारण, तन री राखै ताक।।250।।
खावणसारांरै खरौ, अन देतौ उपजाय।
तरसै दाणां नै तिकी, किरसांणां री काय।।251।।
देखौ दुरभख देस मा, बो'रा बदलै भेख।
फटकै मूंडौ फेरलै, आसांमी नै देख।।252।।
बिरखा आछी बरससी, फलसी फसलां फूल।
थिर ऐ दिन नाही थिरा, बो'रा तूं मत भूल।।253।।
दोय मिती रा ब्याज सूं, देतां क्यूं दुख पाय।
मूल समेत चुकावसूं, कातीसरो कढ़ाय।।254।।
पैल चुकारौ आपरौ, करूं कोरड़ू काढ़।
धूणै माथौ दूंदलौ, घमौ न बो'रा गाढ़।।255।।
भरी बिगोड़ी लारली, फिर पटवारी गैल।
नक्की गहणौ नार रौ, दियौ अडांणै मेल।।256।।
रिजक आंधलां रोगलां, पखां पांगला पाल।
वसुधा नै वोलाण री, करसां करणी टाल।।257।।
सगपण होवै सांतरा, उपड़ै खरच अपार।
करसां रै आमंद रौ, एक घरा आधार।।258।।
तपत करावै ताय नै, ऊभी आंगलियांह।
परसेवौ चोटी तणौ, पूगै पगतलियांह।।259।।
तिरसा भूखां नै तपत, तर तर दूंणी ताय।
ताती हुयनै तावड़ै, लूवां डाम लगाय।।260।।
अबै दूध ना आकड़ै, थकी आयणी गाय।
रही छाछ ना राबड़ी, कछूं रायतौ आय।।261।।
सपनै दरस सिकंजियां, ठंडाई इतियाद।
भरै काल मा भूलगा, आमलवाणौ स्वाद।।262।।
ऊठ अलंघां आंधियां, रचियौ कालौ रूप।
बिखरै ओटी बासती, झूंपड़ जावै जूप।।263।।
गीगी लारै गीगलौ, घणनांमी दै गेह।
और कदै तो आवसी, आंधी लारै मेह।।264।।
बिलमै मिनख हताइयां, काल जेठ नै काढ़।
बिरखा तणौ बधाऊड़ौ, आसावना आसाढ़।।265।।
द्राव
तंतहीण के तेवड़ै, जोगौ नहीं कुजीव।
बरतै नर अदबायरी, द्राव नारियां घीव।।266।।
नीरम आछौ नीरता, फिरता च्यारूंमेर।
मिटियां स्वारथ मांनखौ, आंख्यां दीनी फेर।।267।।
तंतहीण के तेवड़ै, जोगौ नहीं कुजीव।
दुरभीख पड़ियां देस मा, बिगड़े आछा भाव।
किरसांणां री कायमी, छोडै सूना द्राव।।268।।
पूरी गिणलो पांसलयां, आंख्यां आवै गीड़।
मरता भूख मबेसियां, लुलगी हड्डी रीढ़।।269।।
चम्मालीसै काल मा, परौ छायौं पाप।
चोखा चोखा छोड़ दी, द्रावां री ाणियाप।।270।।
लखिया करसां लखपती, करदी कानां टाल।
गायां घर सूं काढ़ दी, चम्मालीसै काल।।271।।
बिणजै लाखां बोरगत, राखै ऊंची टांग।
नीत चोर इसड़ा नरां, छोडी गायां छांग।।272।।
बााापौ गायां वजह, दपट कमाया दाम।
सूनी कीकर छोड दी, नीरण थकां निकाम।।273।।
ाकिाकि थारां ारम नै, रे थांरै सिर रेत।
भूखां मरबा ताड़दी, घर री गायां केत।।274।।
निरान नीरण गावड़ी, लाय कठा सूं कोस।
जां घर साान जोर रा, देवां उणनै दोस।।275।।
गोठां करली गिरजड़ा, द्राव मांस सूं ााप।
ऊभा जाय'र आंतरा, तावड़ रहिया ताप।।276।।
दारण हारण देय दुख, दुसमी थयौ दुकाल।
अनमी थलवट जीवड़ां, कर दीना कंकाल।।277।।
तकड़ी सरदी भूख तिस, फींकर दीना फाड़।
पग पग ही मरिया पड्‌या, कांकड़ द्राव गवाड़।।278।।
बिना पांण सूं बेसक्यां, पड़िया द्रावां हेर।
कुचमादी हद कागला, टूंचां दै चौफेर।।279।।
करै जोर ऊठण कितौ, तड़प आगलै तंग।
पोचीवाड़ी पूट रौ, हार्या जीवण जंग।।280।।
पकड़ै लारूं पूंछड़ौ, आगूं कानं झाल।
आय उठावै आदमी, गेडी हेटै घाल।।281।।
फोहहीण पग होविया, भर पावन्डा पांच।
पड़गी ापिड़ी खाय घर, खिपै मौतड़ी खांच।।282।।
चम्मालीसै काल मा, (हूँ) देख्या ऐ दरसाव।
गायां री गत बीगड़ी, बणियौ नांय उपाव।।283।।
पंछी
बातां चांकै दोगड़ी, नाडी आंकै नीर।
न्हांखै दाणा नांय नर, सुद खग झांकै सीर।।284।।
गुजर न कांकड़ गोरवै, सुणी दतारां साय।
तर तर पूगा गांव तत, तीतर दाणां ताय।।285।।
रमता देखूं रावलै, हूं तीतर घण बार।
गानीवादी लोगड़ा, भूल न करै सिकार।।286।।
चीं चीं करती चिड़कली, निकमी रहवै नोज।
दाणां रा नांही दरस, ऊतरतै आसोज।।287।।
घुटरगुं ई कबूतरां, मोली पड़गी मंच।
दाणा रै मिस देखलौ, चुगै कांकरा चंच।।288।।
भूखी आले बोरिलां, सेवै ईंडा साद।
रै लड़ाई कागला, ईंडा खावण वाद।।289।।
पींचां लैल्यां ऊपरां, पड़ी बिखै री पोट।
कालचिड़ी री काल मा, मोली थई मठोठ।।290।।
केकी घण कुरलाविया, चौड़ी करकर चूंच।
मरीकाल री मोरिया, ठाह पड़ै आगूंच।।291।।
ढावा ऊपर ढेलड़ी, दोलै बिचिया देख।
फरती चुगै फिराक में, आई कांकड़ छेक।।292।।
जाता आता झूलरा, अब ना घूम मचाय।
करता विचरण काल मा, सूवटिया सरमाय।।293।।
साकाहारी जीवड़ा, भांगै पांसल भूख।
सोनल चिड़ियां काल मां, हुयगी डाफाचूक।।294।।
सरवर खाली सारांस, ऊभी करै उडीक।
बरसालौ कद बरससी, पूरवसी कद पीक।।295।।
गोडावण भूखा घणा, तिरसां मरै तिलोड़।
आयै दिन ही हाल सूं, करणी माथा फोड़।।296।।
कागां गिरजां कांवलां, जांणक ताबै जौर।
दुरभख मा दपटीजिया, द्राव मांस अठपौर।।297।।
टिवटिव कर टींटोडियां, उठ घर उडै अकास।
जावै निरफल जीवड़ा, आ ईसर अरदास।।298।।
जीव जिनावर
परड़ बांडकी पसरतां, लावैकाललुकार।
काल फिरै घर काल मा, दाटक कालींदरा।।299।।
पीवा सांसां पीवणौ, सूता मिनखां रात।
रात्यूं सूता राखदै, पेख न सकै प्रभात।।300।।
नेड़ौ त्रण पांणी नहीं, मलप फुदक व्ही मंद।
खावै कै खिरगोसिया, कैरां बिच मा बंद।।301।।
डांढां कुलै सिकारियां, खावण नै खिरगोस।
दागै गोली देखतां, जजत दिखावै जोस।।302।।
दो'रा लूंकी स्यालका, कांकड़ मांची कूक।
गौण मतीरा काकड़ी, मारी दुरभख फूंक।।303।।
फौत सूचना कोयली, मग जद जाय मसांण।
लागी मूंडै लाय ज्यूं, जोवौ बोलत जांण।।304।।
नली नाद सुण नाटवै,स्वान सुणंतां पांण।
जोवै भूखा जरकड़ा, कुत्तां री कमठांण।।305।।
भूख काल गोफारड़ै, भू भू करै पुकार।
भू भू करता काल मा, मरगा मिनख हजार।।306।।
म्याऊं करती मोकली, भटकै भेड़भिलाय।
कमी नीर अर काल री, लागी मरुधर लाय।।307।।
चिरव्हालाई चौगनी, ऊंचा पूंछ'र कान।
कठैगया सै सोचती, हव भूखी हैरान।।308।।
तप धोरां बिच ताकतां,लागै सरवर ल्हैर।
मिरगा देख मरीचिका, हारै फिर फिर हेर।।309।।
दूध बिना के पावसै, जाया मूंडौ जोय।
तिरसी भूखी तावड़ै, हिरणी व्याकुल होय।।310।।
मऊ चलीगी मालवै, लारै रहिया स्वान।
सोदै जांगा सूंघता, पावण रोटी कान।।311।।
झूंपड़ सारा जोविया, पाई ऊंदर पोल।
कोठलियां रा काल मा, बागा रहिया बोल।।312।।
वनापाती
करै कालजौ काल मा, खेजड़ियां खरणाट।
लाखीणा नर लेयगौ, काल मालवै बाट।।313।।
नित नित सूखै नीम्बड़ौ, बोरड़ियां बोबाय।
दुमना बांवल देखबा, कैर फोग कुरलाय।।314।।
पींपलियां पीली पड़ी, बड़लै सूख्यौ दूध।
काल मरुधरा मांयनै, रहियौ जागां रूंध।।315।।
जालां फीका जालिया, गूंदी ना ससवाद।
ऊभी सूखै आमली, बरतै काल विवाद।।316।।
रोहि दुखिया रोहिड़ौ, काट रिया किरसांण।
रिपिया बाट'र रोकड़ा, पेट भरै इण पांण।।317।।
इरणी पानां ऊतरी, सुसती तनां सरेस।
रांधै छाती रात दिन, दुरभण मरुधर देस।।318।।
ससती बेचण सहर मा, लकड़ी हो ले जाय।
पेट भरण परिवार री, ओ ही एक उपाय।।319।।
आक धतूरा सूखगा, कियां काल घण क्रोध।
डरै न दुरभख दाकलां, जीवै मरुध जोध।।320।।
पांणी जड़ां न पूगियौ, बरस्यां कम बरसात।
नमीं जमीं रै नीचली, पाणी मुसकल बात।।321।।
कांटी झट कुमलायगी, कुराछिंकी कलपंत।
भुरट धूप भूनीजगौ, दुरभख देख्यां दंत।।322।।
झेरण वड़ै जमीन मा, धामण सूख धड़ांह।
तड़फै मकड़ौ तांतणौ, चढ़ियौ काल फहांड़।।323।।
करियौ जोर न चामकस, मोथै अदबिच मौत।
कागाबाटी सूखगी, जगी काल री जोत।।324।।
लागा फूल न लेलरू, घासस्वान घबराय।
लीलौ कूकड़़लौ गयो, मूंडै दुरभख मांय।।325।।
पूगौ आंगल डाबड़ौ, हिरणा चाबै हांण।
बेकरियौ लूणी बली, सुणियौ दुरभख आंण।।326।।
रेती रै मांही रमै, मूंड द्राव न आय।
बिरखा बिन कीकर बढ़ै, घास फसल वनराय।।327।।
सहरी हवाल
सहरां बसती सांकड़ी, साधन जठ सबाय।
निजर धकै सरकार रै, करै तबाही साय।।328।।
गांवां री गिनरत नही, पूरी तूमत पाय।
सहरी सोरा साधनां, भचकै काम बणाय।।329।।
माल्है जीपां मोटरां, पखां कार पंपाल।
अंधाधुंध कमाइयां, करै सोच ना काल।।330।।
ऊंची सूं ऊंची अठै, पढ़बा हित पौसाल।
इणांऊपरै कम असर, काचा कुरां दुकाल।।331।।
आंख्यां चाढ़ आकास मा, रखै कुरब ना कांण।
फेस फेनाफेन में, पोमीजै धन पांण।।332।।
भणियोड़ा मोट्यारडां, पड़गौ मघसौ पौत।
बेकारी रेै साथ में, बेरुजगारी बौत।।333।।
घमआं घराणां मांय नै, अबला व्ही आजाद।
कलब सिनेमां होटलां, फिरै बिना मरजाद।।334।।
आयै दिन होवै अठै, हर ठौड़ां हड़ताल।
पैवा मा रांझौ पड़ै, करै काल मा काल।।335।।
साधन कारण सहर रौ, रै आछौ रैवास।
दिन दिन भायां देखलौ, वधतौ सहरां वास।।336।।
कमरा हिक सूं काढ़णौ, काम दिखावण दांत।
भोगै दुख भाड़ायती, भींचीजै हर भांत।।337।।
भाड़ै रेवण भायलां, मूंघा मिलै मकान।
मालिक रा सुण ओलबा, बहरा होवै कान।।338।।
आछौ खांणौ पैरणौ, होवै होडा होड।
अंतस रात अमूझसी, फीका पड़सी कोड।।339।।
बिचलै दरजै मांनखै, दिन दिनसगलै दैण।
वेतन किस्त बिखेरियो, सोटौ भुगतन सैंण।।340।।
लगै बलाका लाग सूं, गैस सिलेण्डर गैल।
निठिया बेगी नेक घ, आणी ना असखेल।।341।।
इंगलिस पोसाल पढ़ै, मूंघी किस्त भराय।
सरकारी इस्कूल री, गांवां पूछ सवाय।।342।।
कोताई जल कारणै, आयै दिनां उडीक।
सहरी नल ना बगतसर, पूरै मिनखां पीक।।343।।
किल्लत केरोसीन री, लागी लाम्बी लैंण।
भोगै दुख उपभोगता, दिन आयै री दैंण।।344।।
वौपारी जन लोभवस, लूटै ग्राहक लाभ।
मूंघाई रै मार सूं, उतरी मिनखां आभ।।345।।
मूंगी दालां मूंग बिन, तिल बिन मूंघो तेल।
मूंघा गेहूं बाजरी, खलकै दुरभख खेल।।346।।
खायां माल मिलावटी, रसतै काया रोग।
मालामाल मिलाणियौ, करम कुटावै लोग।।347।।
काम छोड पैदा कठै, बागां जावै बैठ।
बगत गमावै फालतू, देख टिवी किरकेट।।348।।
जमाखोर देखौ जठै, फटकै हाक फुटाय।
भाव चाढ़ आकास में, देखौ लूट मचाय।।349।।
पावै खोटा पाथ सूं, दोय नम्बरी दाम।
दोयण परघै देस रा, करै कलंकी काम।।350।।
चुप छुप करसी चोरियां, परी उठासी पेठ।।351।।
सिगरेटां रै साथ में, विसकी में विसवास।
नसाबाज व्है नीसरै, अपणी पूरम आस।।352।।
छोर्यां लारै रांचता, बेच किताबां खाय।
भारत थारै भाग रा, करणाधार कहवाय।।353।।
फोरी बातां मा फसै, दाब सिनेमा देख।
देखणियां धारण करै, आछी सीख न एक।।354।।
ऐ साहित असलील पढ़, करण टाइम पास।
टांकै नागी फोटुबां, बेडरुम रैवास।।355।।
पाड़ौसी सूं भूल नै, करै न जांण पिछांण।
मतलबियां इसड़ां मिनख, होसी भारत हांण।।356।।
फिरता रहवै फालतू, नेता नखै निकांम।
उल्लू सीधौ आपरौ, करै भुलायां काम।।357।।
जहर उगालै जातरौ, करमां खावै कूट।
संप्रदाय सद्भावना, फटकै पटकै फूट।।358।।
मूंघी चीजां मांयनै, झांपण नै मन जाय।
दंगा हुयां दुकान मां, लांपौ अवस लगाय।।359।।
होवै कूड हिमायती, फेरूं बोलै फूड़।
रालै इसड़ा रांचता, धरम नांव में धूड़।।360।।
सीधा मिनखां जीवणौ, ऐ ही करै हराम।
रोलागार रूसियां, करदै काम तमाम।।361।।
चंदा कर कर चाटणा, तर तरसब नै ताय।
रहियां पायौ राज में, सायौ करदै साय।।362।।
अकाल राहत
साधन पैलां सांकड़ा, वियौ अबै विसतार।
मरै न कोई भूख सूं, सामरथी सरकार।।363।।
लावै चारौ लाग सूं, बेचणससतै भाव।
सुधरै बिगड़ै काम सै, नेतावां रै नांव।।364।।
पांणी रा फोड़ा पड़ै, करै बठै झट कार।
टैंकर पाणी लांण नै, सराजाम सरकार।।365।।
जठै पांणी जमीन में, खुदै बठै नल कूप।
थलवट हरियाली थई, राज रंग घण रुप।।366।।
करजौ दै किरसांण नै, खोदण बेरा खूब।
लाभ उठावै सजग सै, बैठा रै बेकूब।।367।।
फोड़ा घालै फालतू, करतां करजा काम।
भ्रस्टाचारी भायला, करै राज बदनाम।।368।।
खोदण टांका खेत मा, होद बणावण हेत।
राज दिरावै रोकड़ा, लाखूं करसा लेत।।369।।
गूंदै बैठा गूदड़ा, गप सप मारै गांव।
भाड़ौ भांगण ना करै, इसडां आय न डांव।।370।।
रोयां चाय'र राज में, सेवट तो सुध लेय।
बालक रै रोयां वसू, बोबौ मायड़ देय।।371।।
धुरापेड सूं धावियां, वणै काम हर भांत।
घयाकारज सरांण घर, गरजां सागण गांथ।।372।।
नोकर आपां मांयला, खावण सूंक मरैह।
नाणां लोभी नागरिक, के सरकार करैह।।373।।
दस रिपिया रिसवत दियां,जुड़ां अनीती जोग।
फाऊ सौ रौ फायदौ, लेवां आपां लोग।।374।।
नाणां खोदण नाडियां, साज रही सरकार।
पेट भरै पुरसारथी, राहत दुरभख लार।।375।।
राहत काज अकाल रौ, बंध तलाव बणाय।
देवै लाखां देनगी, काल कढ़ण कढ़वाय।।376।।
साख सिचाईकूप जल, मछी पावण काज।
जावै सहरां पीण जल, बांध बणाया राज।।377।।
सहरां नै घण गांव सूं, जोड़ण सड़कां जाय।
मिल गांवेड़ू मांनखौ, पूर देनगी पाय।।378।।
कच्ची सड़कां काम रो, साधन मोटर पाय।
जावण आवण जातरा, कम ही बगत लगाय।।379।।
पच्चीसौ दुरभख पड्‌यौ, पकड़ी 'फेमिन' चाल।
'मेट' 'ओसियर' 'मिसतरी', हुयगा मालामाल।।380।।
डाकी कई डकारगा, भर फरजी मिसट्रोल।
लाखूं रिपिया खायगा, देख राज री पोल।।381।।
कागद कोई लेयगा, (कोई) रिपिया तांई रोय।
आ हालत फेमीन री, (हूँ) देखी महिना दोय।।382।।
छोकी छोकी छोरियां, जोता निजर पसरा।
फंसती लालच लोभ में, मिसतरियां मनवार।।383।।
मिरचां रोटी बगतसर, निज घ खाता कूद।
पावै वेई केम्प में, दपटाऊ घी दूध।।384।।
पड़ी रहै आगौलगी, 'के के' बोतल केम्प।
रांधै अलीण रात रा, लियां रोसनी लेम्प।।385।।
फोगट रौ धन फैलियां, फगत कराय फितूर।
रमता जूवा रातरा, चिगै नसां में चूर।386।।
फाऊ रा फरमांण री, देख्या फेमिन डोल।
पैलां जितरी पाठकां, अबै न राफारोल।।387।।
मुख लाली मुरझायगी, छीयां काली छाय।
भूली जीवन भार नै, कूंडै भार सताय।।388।।
जोबन बस में ना रहै, बाज्यां मनसिज बाय।
पग चोकट ऊपर पड़ै, डग डग देह डिगाय।।389।।
उरड्या कुच ऊपर पड़ै, परसेवौ मुख नार।
झरै जेम सिवलिंग पै, बूंद बूंद जल धार।।390।।
हूड़ौ छाती आगलौ, लखै सुता दिन रात।
बो'रा थारी मेर बिन, हुवै न पीला हाथ।।391।।
कर गोडै दै डोकरी, ऊठी दमै उठाव।
भरी तिगारी मुरड़ री, खेंचै भूख पसाव।।392।।
खीरां अगनी ज्यूं खरी, मुलमुल ग्रीखम रेत।
धरतां पग दौपार रा, डांम ज जांणै देत।।393।।
मझ दौपारां डोकरी, पखौ पसेवौ गात।
जेम ओस बांवल तनां, चिलक रही परभात।।394।।
आंधी सामी चालणौ, खराखरी रौ खेल।
ज्यूं ज्यूं पग आगै धरां, पाछौ देय धिकेल।।395।।
जच्चा बच्चां बीसरै, राख्यां तनो रखाव।
पापी भूखा पेटहित, गदै फेमिनां गांव।।396।।
आंगन बाड़ी
आयै दिनां अकाल सूं, मरुधर देस गरीब।
दोरा टाबर देख नै, करी राज तरकीब।।397।।
दसा सुधारण बालकां, पोस्टिक भोजन पांण।
आंगन बाी मैकमौ, सरू कियौ सुभ जांण।।398।।
भोजन पोस्टिक बालकां, बेकारां रुजगार।
आंगण बाड़ी मैकमौ, करै घणेरां कार।।399।।
थई हाथ में थालियां, लागै बालक लैंण।
दलियौ खांण उतावला, निरखै फीका नैंण।।400।।
पड़ता रहवै मरुधरा, काल ऊपरै काल।
आंगण बाडी एकली, लेवै बाल संभाल।।401।।
बड़ा पकावै बालकां, करता रेय कसार।
माल बमावै ऊमदा, आंगण बाड़ी नार।।402।।
खावै टाबर खीचड़ी, बडै चाव रै साथ।
थूली लीधां थालियां, हां घालै झट हाथ।।403।।
मांद बिमारी बालकां, नरसां देखण आय।
दवा गोलियां देयनै, करै रोग सूं साय।।404।।
सजग अफसरां कारणै, चालै आछी चाल।
मोला अफसर मैकमै, धरोधणी व्है न्याल।।405।।
माल आय परमुलक सूं, आंगण बाड़ी हेत।
बाड़ी भड़ी भखारियां, ऊडै आंगणै रेत।।406।।

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